31st July Public Holiday: 31 जुलाई 2025 को पंजाब राज्य के सभी सरकारी और निजी दफ्तर बंद रहेंगे। हर साल यह दिन शहीद उधम सिंह की पुण्यतिथि के रूप में मनाया जाता है। यह सिर्फ एक छुट्टी नहीं बल्कि एक ऐसे महान स्वतंत्रता सेनानी को श्रद्धांजलि देने का दिन है, जिन्होंने देश के लिए अपनी जान कुर्बान कर दी।
शहीद उधम सिंह का नाम देश की आज़ादी की लड़ाई में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है। उनकी मौत किसी बीमारी से नहीं, बल्कि अंग्रेज सरकार द्वारा फांसी दिए जाने से हुई थी। उन्होंने 1940 में लंदन जाकर माइकल ओ’डायर को गोली मारी थी जो जलियांवाला बाग हत्याकांड के लिए ज़िम्मेदार था। उस दिन हजारों निर्दोष भारतीयों की जान ली गई थी और उधम सिंह ने उस अन्याय का बदला लेने का संकल्प लिया।
उधम सिंह ने दुनिया को दिखा दिया कि भारतवासी अपने देश के खिलाफ हुए अत्याचार को कभी नहीं भूलते। गिरफ्तारी के बाद भी उन्होंने अदालत में साफ कहा कि उन्होंने जो किया वह अपने देश के लिए किया। इसके बाद उन्हें 31 जुलाई 1940 को फांसी दे दी गई।
पंजाब सरकार हर साल इस दिन छुट्टी की घोषणा करती है ताकि लोग उनके बलिदान को याद रखें और नई पीढ़ी को उनकी बहादुरी के बारे में बताया जा सके। यह छुट्टी आराम करने का दिन नहीं बल्कि सोचने और सीखने का दिन है, कि हमारी आज़ादी किन कठिनाइयों और कुर्बानियों से मिली है।
क्या सब कुछ बंद रहेगा?
अब सवाल उठता है कि इस छुट्टी में क्या अस्पताल और जरूरी सेवाएं भी बंद रहेंगी? तो इसका जवाब है नहीं। अस्पताल, मेडिकल स्टोर और जरूरी सेवाएं हमेशा की तरह 24 घंटे चालू रहेंगी। क्योंकि अगर ये सेवाएं बंद हो जाएँ तो कई लोगों की जान को खतरा हो सकता है। इसलिए इन पर कोई रोक नहीं लगाई जाती।
लेकिन हाँ, स्कूल, कॉलेज, बैंक और अधिकतर सरकारी दफ्तर जरूर बंद रहेंगे। अगर किसी को बैंक में कोई ज़रूरी काम है तो वह 30 जुलाई या 1 अगस्त को निपटा सकता है। ऑनलाइन बैंकिंग, यूपीआई, एटीएम जैसी सेवाएं पहले की तरह काम करती रहेंगी।
नई पीढ़ी को जानना चाहिए इतिहास
आज की युवा पीढ़ी इतिहास को जानने में कम दिलचस्पी रखती है लेकिन यह ज़रूरी है कि हम अपने बच्चों को बताएं कि हमें जो आज़ादी मिली है वह यूं ही नहीं मिली। इसके पीछे हजारों लोगों की कुर्बानी है। उधम सिंह उन्हीं वीरों में से एक हैं जिनका बलिदान हमें आज भी प्रेरणा देता है।
अगर हम 31 जुलाई को सिर्फ एक छुट्टी मानकर बैठ जाएं, तो यह उनके बलिदान का अपमान होगा। यह दिन हमें हमारे इतिहास से जोड़ता है और यह सिखाता है कि देश के लिए खड़ा होना कितना ज़रूरी है, चाहे परिस्थिति कैसी भी हो।उधम सिंह का साहस हमें यह बताता है कि अगर इरादे मजबूत हों तो कोई भी काम असंभव नहीं होता।
31 जुलाई प्रेरणा और जिम्मेदारी का दिन
इस दिन को हमें सिर्फ आराम करने का मौका नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी के रूप में देखना चाहिए। अपने इतिहास को जानने और उसे आगे की पीढ़ी तक पहुँचाने की। हमें बच्चों को समझाना चाहिए कि आज जो आज़ादी हम इतनी आसानी से जीते हैं उसके लिए कई लोगों ने अपना खून बहाया है।
शहीद उधम सिंह ने निस्वार्थ भाव से अपने देश के लिए प्राणों की आहुति दी। उनका उद्देश्य केवल एक था देश को न्याय और स्वतंत्रता दिलाना। ऐसे लोग हर युग में नहीं होते। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा देशभक्त वही है जो अपने कार्यों से देश के लिए कुछ करता है, केवल बातों से नहीं।इसलिए 31 जुलाई को हम सभी को शहीद उधम सिंह को याद करना चाहिए, और उनके साहस से सीख लेनी चाहिए।
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