UP Primary School Latest News: उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी राज्य की प्राथमिक विद्यालयों की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाने के लिए लगातार नज़र बनाए हुए हैं। राज्य के प्राथमिक विद्यालयों में विद्यार्थियों की शिक्षा की निरंतरता को बदलने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इसी के तहत राज्य सरकार ने एक योजना बनाई है, जिसके अंतर्गत प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों को हाई स्कूलों से जोड़ा जाएगा। सरकार का उद्देश्य यह है कि प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों की शिक्षा व्यवस्था को और बेहतर बनाया जाए।
छात्रों का समग्र विकास
प्रदेश के प्राथमिक विद्यालयों के छात्रों को सही तरीके से पढ़ाई के साथ-साथ उनके मानसिक विकास के लिए एक खुला वातावरण और खुले मैदान की भी आवश्यकता है। बच्चों के उज्ज्वल भविष्य के निर्माण के लिए पढ़ाई के साथ-साथ खेल-कूद भी बहुत अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए राज्य सरकार यह निर्णय ले रही है कि प्राथमिक विद्यालयों को हाई स्कूलों से जोड़ा जाए, ताकि बच्चे खेलों के साथ बड़े हों, उन्हें एक बेहतर वातावरण मिले और उनमें अच्छी सोच विकसित हो।
उत्तर प्रदेश राज्य में प्राथमिक विद्यालयों की संख्या तो बहुत है, लेकिन उनमें छात्रों की संख्या बहुत कम है। छात्रों की कम संख्या के कारण इन स्कूलों में पढ़ाई-लिखाई ठीक से नहीं हो पाती और अच्छे वातावरण की कमी के चलते बच्चे मानसिक रूप से भी पूरी तरह से विकसित नहीं हो पाते। इसलिए राज्य सरकार इन प्राथमिक विद्यालयों को बंद कर उन्हें हाई स्कूलों में मिलाने की योजना बना रही है।
इससे छात्रों का मानसिक विकास होगा और पढ़ाई में उनकी रुचि भी बढ़ेगी। इसी क्रम में उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदेश के कुल 10,827 सरकारी प्राथमिक विद्यालयों को बंद करने का निर्णय लिया है।
ECCE शिक्षकों और आंगनबाड़ी केंद्रों की भूमिका होगी अहम
इन स्कूलों को परिवर्तित करते समय ECCE (अर्ली चाइल्डहुड केयर एंड एजुकेशन) शिक्षकों की भूमिका भी बहुत महत्वपूर्ण होगी। जिन प्राथमिक विद्यालयों को खाली किया जाएगा, वहाँ आंगनबाड़ी केंद्र खोले जाएंगे, जहाँ 3 से 6 वर्ष की आयु के बच्चे पढ़ाई कर सकेंगे। इन विद्यालयों में बच्चों को पढ़ाने की ज़िम्मेदारी ECCE शिक्षकों की होगी। इसलिए इस समय उत्तर प्रदेश में ECCE शिक्षकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण हो गई है।
राज्य में माता-पिता सहित सभी वर्गों के लोग इस निर्णय से हैरान हैं कि सरकार स्कूलों को बंद कर रही है, लेकिन सरकार को यह कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि उसे छात्रों के मानसिक विकास और उनके उज्ज्वल भविष्य की चिंता है। सामान्यतः देखा गया है कि सरकारी प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों की पढ़ाई पर अधिक ध्यान नहीं दिया जाता था, और पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद और खुले वातावरण की भी कमी रहती थी।
लेकिन अब, जब प्राथमिक विद्यालयों को हाई स्कूलों से जोड़ा जाएगा, तो बच्चे सभी तरह की गतिविधियों में भाग ले सकेंगे। इसी कारण से सरकार ने यह योजना बनाई है कि प्राथमिक विद्यालयों को हाई स्कूलों से जोड़ा जाए। सरकार का मानना है कि इससे बच्चों का मानसिक विकास पहले से कहीं अधिक होगा और वे नए वातावरण के अनुसार अपने आप को ढालना भी सीखेंगे।
विद्यालय विलय हेतु जिला स्तरीय टीम का गठन
इसके अलावा, राज्य सरकार एक टीम भी गठित करेगी, जो यह तय करेगी कि किस आंगनबाड़ी केंद्र को किस स्कूल से जोड़ा जाए। इस टीम के अधिकारी आंगनबाड़ी केंद्रों का दौरा करेंगे और यह तय करेंगे कि कौन-से स्कूलों से इन्हें जोड़ा जाए, और कैसे जोड़ा जाए। इस बैठक में ग्राम प्रधान, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और अन्य विभागीय कर्मचारी भी उपस्थित रहेंगे।
इस बैठक में अलग-अलग सवालों के जवाब भी चर्चा के माध्यम से तय किए जाएंगे। सरकार इस टीम को 15 दिन का समय देगी। इन 15 दिनों के भीतर टीम के अधिकारी प्राथमिक विद्यालयों को हाई स्कूलों से जोड़ने का कार्य करेंगे।
यह टीम ज़िला-स्तर पर काम करेगी। आपको यह भी बता दें कि इस बैठक के दौरान आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं, ग्राम प्रधानों और अन्य विभागीय कर्मचारियों की व्यक्तिगत राय भी ली जाएगी और उन्हीं की सहमति के बाद राज्य सरकार प्राथमिक विद्यालयों को हाई स्कूलों में मिलाने का निर्णय लेगी।

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